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झमाझम |10 नंबरी Avengers 4 में क्या होने वाला है मितरों, यहां जानो!

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जाल निकल नहीं रहा लेकिन फिर भी ये शॉ ऑफ कर दूं कि मैं अवेंजर्स इन्फिनिटी वॉर देख आया हूं और उम्मील है मार्वेल के सारे फैन्स देख चुके होंगे. अगर नहीं देखा है तो प्लीज लौट जाओ क्योंकि आगे स्पॉइलर हैं. पहला स्पॉइलर ये है कि वीकेंड पर सिर्फ तीन दिन में फिल्म 90 करोड़ की कमाई पार कर चुकी है. अब काम की बात की आने वाली अवेंजर में क्या होगा. अगर टेक्स्ट न पढ़ना हो तो वीडियो देख लो. पढ़ने में दिलचस्पी है तो नीचे स्क्रोल करो. बात ये है कि जैसे सारे लोग धूल में मिल गए हैं उससे आप पूछ सकते हैं अमा ऐसे भी कोई मरता है क्या? आधी से ज्यादा अवेंजर्स की फौज गायब हो गई. उनकी जगह लोकी, गमोरा और विजन का मरना ज्यादा नेचुरल लगता है. तो हकीकत के सबसे नजदीक थ्योरी ये है कि टाइम का खेल खेला गया है. डॉक्टर स्ट्रैंज ने आगे जाकर देख लिया था कि क्या लोचा होने वाला है. लाखों फ्यूचर लड़ाइयों के बीच जिस एक जीत की बात डॉक्टर ने की थी वो शायद यही हो कि टाइम में आगे पीछे घुसकर सब माहौल सेट किया गया है. 2. हम लौट आएंगे तुम यूं ही बुलाते रहना डॉक्टर स्ट्रैंज, ब्लैक पैंथर, स्पाइडर मैन नहीं मर सकते. इन सबकी फिल्में आने वा

क्या सच में राहुल गांधी रायबरेली की इस विधायक से शादी करने वाले हैं?

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देश के राष्ट्रीय सवाल की बात करें तो सलमान खान की शादी वाली बात अपना टॉप पोजिशन मेंटेन करके रखती है, लेकिन राहुल गांधी के बारे में कोई पूछता ही नहीं है. वो भी तो बैचलर हैं. वो भी तो एलिजिबल हैं. कांग्रेस समर्थकों की ये पुकार शायद किसी के कान में पड़ी और अटक गई. तभी पिछले कुछ दिनों से राहुल गांधी की शादी की खबरें सोशल मीडिया पर सुर्खियां बटोर रही हैं. ऐसी खबरें चल रही हैं कि राहुल गांधी की शादी कांग्रेस से रायबरेली सदर की विधायक अदिति सिंह से फिक्स हो गई है. इस खबर के उड़ने के पीछे की वजह थी एक फोटो. इस फोटो में राहुल और अदिति के साथ उनके परिवार वाले भी नज़र आ रहे हैं. ये फोटो बाहर आई और लोगों ने खबरें बनानी शुरू कर दीं कि इन दोनों की शादी होने वाली है. ये खबर फैलाने वालों ने तो ये भी बता दिया कि उनकी शादी इसी महीने होने वाली है. पहले ऐसी खबरें रायबरेली में व्हॉट्सऐप पर फैलीं और फिर धीरे-धीरे फेसबुक और ट्विटर की ओर बढ़ चलीं . यकीन नहीं आ रहा तो सबूत देख लीजिए: अदिति सिंह कांग्रेस की टिकट पर 2017 में विधानसभा चुनाव जीतकर रायबरेली की सदर सीट से विधायक बनी थीं. इससे पहले उनके पापा अखिलेश

बीकानेर: यहां भरता है मेला, जहां सजते हैं ऊंट

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ये फोटोज हमें भेजी हैं. अनुराधा कंवर भाटी ने. तिक्खा इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल से. उनको लगा ‘दी लल्लनटॉप’ से शेयर करनी चाहिए. आप भी lallantopmail@gmail.com पर कायदे का कंटेंट भेज सकते हैं. ठीक लगा तो हम छापेंगे. बीकानेर का जिला प्रशासन और पर्यटन विभाग, हर साल मिलकर इंटरनेशनल कैमल फेस्टिवल ऑर्गेनाइज करते हैं. इस बार 23वां कैमल फेस्टिवल था. 9 और 10 जनवरी को. उस मौके की तस्वीरें हम तक आई हैं. आप भी देखिए. ऊंटों से जुड़िए,राजस्थान को महसूसिए इसे बहाने. 2. कोई 70 मिनट हैं तुम्हारे पास : ‘चक दे! इंडिया’ में फाइनल से पहले शाहरुख अपनी टीम का हौसला बढ़ाते दिखते हैं. मगर ये रेगिस्तान है, यहां नहीं. ये ऊंटवाले अपने नर्वस ऊंट कालू को सजाते हुए ऐसा कुछ नहीं बोले. 4. ये आराम का मामला है: भाई का ऊंट देखो, भाई का अंदाज देखो. 5. गाइज़, हाऊ मे आई हेल्प यू: दो विदेशी सैलानियों द्वारा कौतूहल से निहारे जाने पर ये ऊंट शायद यही कह रहा है. 6. होंठों पर रंग, सिर पर तिरंगा: इंसानों के रंगों से अंजान अपने में डूबा एक ऊंट. 7. ऊंट खडा जो पी लेता है, 30 दिनों का पानी: सूर्य की ऊष्मा के आगे सदा टिके रहने वाला ये खूब

'सालों तक साथ रहा 7 रुपये वाला मेरा रेडियो'

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पेश है ‘दी लल्लनटॉप’ की नई सीरीज ‘रेडियो जुबानी’ की दूसरी किस्त. इस सीरीज में हम आपको महेंद्र मोदी के लिखे रेडियो से जुड़े किस्से पढ़ाएंगे. बीकानेर में पैदा हुए महेंद्र मोदी मुंबई में रहते हैं. रेडियो में 40 साल से ज्यादा का एक्सपीरियेंस है. विविध भारती मुंबई में लंबे वक्त तक सहायक केंद्र निदेशक रहे.mahendra modi-2 पहली किस्त में आपने पढ़ा- छोटे से बच्चे ने रेडियो के लिए अपनी गुल्लक तोड़ी. अब पढ़िए बच्चे के साथ उस रेडियो के आगे के सालों की कहानी. उस ज़माने में राजस्थान में कहने को पांच रेडियो स्टेशन हुआ करते थे. जिनमें से एक अजमेर में सिर्फ ट्रांसमीटर लगा हुआ था. जो पूरे वक्त जयपुर से जुड़ा रहता था. मुख्य स्टेशन जयपुर था और बाकी स्टेशन यानी जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर केन्द्रीय समाचार दिल्ली से रिले करते थे. प्रादेशिक समाचार जयपुर से और कुछ प्रोग्राम के टेप्स जयपुर से आते थे, उन्हें ही प्रसारित कर दिया जाता था. कुछ प्रोग्राम जिनमें ज़्यादातर फ़िल्मी गाने बजाए जाते थे. अपने अपने स्टूडियो से प्रसारित करते थे. मुझे इस से कोई मतलब नहीं था कि कौन सा प्रोग्राम कहीं और से रिले किया जाता है और

बॉलीवुड का सबसे विख्यात और 'कुख्यात' म्यूजिक मैन, जिसे मार डाला गया

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हिंदी सिनेमा और उसके संगीत के बारे में तमाम बातें होती हैं. मसलन, 70’s के बाद के गानों में वो बात नहीं रही. ब्लैक एंड वाइट टाइम में सब सहगल की तरह क्यों गाते थे. आखिर रहमान के संगीत में ऐसा क्या है! इंडी-पॉप के सितारों के ऐल्बम अब क्यों नहीं आते. ऐसे तमाम सवालों से भरी फिल्म संगीत की LP रिकॉर्ड से हेडफोन तक की, वाया डेक मशीन हुई यात्रा के किस्सों पर हम बात करेंगे. पेश है दूसरी किस्त. 1978 में आई डॉन फिल्म ने हिंदुस्तान को इस डायलॉग और खई के पान बनारस वाला जैसे गानों के अलावा एक और ज़रूरी चीज़ हिंदी सिनेमा को दी. डॉन हिंदी सिनेमा की ऐसी शुरुआती फिल्मों में थी जिसके ऑडियो कैसेट बड़ी संख्या में बिके. इससे पहले गोल चक्के वाले रिकॉर्ड का ज़माना था. इस बदलाव ने कई स्तरों पर हिंदी सिनेमा और उसके संगीत को बदल दिया. म्यूज़िक इंडस्ट्री का रिकॉर्ड से कैसेट पर शिफ्ट होना सिर्फ टेक्नॉल्जी के स्तर पर बदलाव नहीं था. कैसेट में घर में ही गाने रिकॉर्ड करने, उन्हें इरेज कर के फिर से गाने भरने की सुविधा थी. कैसेट की इस खासियत को दिल्ली के दरियागंज के एक पंजाबी लड़के गुलशन कुमार दुआ ने सही समय पर पहचान लि